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आए दिन आखबारो में खबर पढ़ने को मिलती है की प्यार में धोखा मिलने पर प्रेमी या प्रेमिका ने की खुदखुशी …मैं ये सवाल आज के युवा पीढ़ी से पूछना चाहता हूँ की कितना सही है ये ? धोखा भी आपने खाया और जान भी आपने दी … जिसने धोखा दिया उसे क्या फर्क पड़ा। वो तो आपके मौत पे दो आंसू भी नहीं बहायेगा । वो तो खुश है किसी और का हाथ पकड़ के , वो तो किसी और के साथ जीने लग गया / गई और अपनी दुनिया में फिर से मशगूल हो गया/ गई है । अगर उसको आपसे प्यार होता या आपकी फ़िक्र करता / करती तो आपसे दूर जाने या आपको धोखा देने तक की बात भी नहीं सोचता/ सोचती ।
क्या फर्क है दिल की और दिमाग की सुनने में – अक्सर हमने सुना है की ” वो लड़का / लड़की दिमाग की सुनता/ सुनती है या ये दिल की सुनता/ सुनती है, अगर आप दिल की सुनते है तो यकीन मानिये आप बहुत ही इमोशनल है, कोई भी आपको आसानी से अपनी बातों में में फसा सकता है, या आप किसी के बातों में आसानी से आ जाते हो । दिल की सुनने वाले लोग कभी किसी का बुरा नहीं कर सकते है , और अक्सर यह देखा गया है की जितने भी लडको या लड़कियों ने प्यार में धोखा खाने के वजह से खुदखुशी की है वो दिल की सुनते थे । वही दूसरी और अगर आप दिमाग की सुनते है तो आप बहुत ही प्रैक्टिकल है, कोई भी आपको अपनी बातों में में फसा नहीं सकता। प्रैक्टिकल होने के वजह से आपके नुकसान होने की गुन्जाइस बहुत कम हो जाती है , हाँ कभी-कभी आप नुकसान से बचने और अपने बारे में सोचने के चक्कर में किसी का दिल दुखा देतें है या उनका बुरा कर देते है
किसी से धोखा खाने के बाद दिल से सोचने वाला व्यक्ति के मन में यह बातें जरुर आती होगी :-
“आज उसने मुझे धोखा दिया
जी करता है मर जाऊ ..
आज उसने मेरे जज्बातों से खेला
जी करता है मर जाऊ ..
हया के सारे सीमायें पार कर गई वो
जी करता है मर जाऊ ..
छोड़ गई तनहा मुझे और थाम लिया किसी और का हाथ
जी करता है मर जाऊ “..
लकिन वही दिमाग से सोचने वाले व्यक्ति के मन में यह बातें जरुर आती होगी :-
” नहीं मरूँगा मैं ..
उस बेवफा के लिए , जो कभी मेरी थी ही नहीं
नहीं मरूँगा मैं ..
आपने माता- पिता के लिए
नहीं मरूँगा मैं ..
अपने दोस्तों के लिए
और अब तो नहीं मरूँगा मैं ..
उसे उसके बेशर्मी में जिताने के लिए “
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